योगा करते समय जरूर फॉलो करें ये 10 जरूरी नियम, नहीं होगा कोई नुकसान Follow these 10 Rules while doing Yoga

दोस्तों !यदि आप Mentally और Physically Fit और Strong बनना चाहते है। तो योगा को अपनी Daily Life Style में जरूर शामिल करें।

— Ravi Pratap

योग (Yoga) क्या है ? What is Yoga ?

(Follow these 10 Rules while doing Yoga) ये सब जानने से पहले जानते है, कि योग क्या है? योग अभ्यास भारत की एक ऐसी प्राचीन पद्धति है,

जो कि शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ा देती है। नियमित रूप और सही तरीके से आसान योग करने पर स्वस्थ तन और सुंदर मन मिलता है।

फिट और स्वस्थ रहने के लिए आजकल हेल्थ-क्लब्स, स्कूल्स और हॉस्पिटल्स में भी योग करवाया जाने लगा है लेकिन योग करने से पहले आपको उसके नियमों का पता होना भी बहुत जरूरी है।

योग करते समय सावधानियां इस्तेमाल न करने से आपको योग के फायदे (Benefits Of Yoga ) होने की बजाए नुकसान भी हो सकते हैं।

आज हम आपको कुछ ऐसे नियमों के बारे में बताने जा रहे हैं (Follow these 10 Rules while doing Yoga), जिससे आप योग का पूरा फायदा ले सकते हैं। तो चलिए सबसे पहले जानते हैं, कि क्या योग करना आसान है।

क्या योग करना आसान है? Is yoga easy ?

जी हाँ ! बिल्कुल । योग करना आसान है लेकिन योग के कुछ नियम है। उनको आगे जानते है।

कुछ लोग योग को इसलिए नहीं करते हैं, क्योंकि उन्हें लगता है, कि योग बहुत ही मुश्किल है या वो नहीं कर पाएंगे। कुछ लोग योग की शुरुवात कुछ ऐसे आसन से करते हैं जो थोड़े मुश्किल होते हैं।

और शुरुवात में करने से उनको दिक्कत हो जाती हैं। जिसके कारण वो योगा छोड़ देते हैं। योगाभ्यास की शुरुवात हमेशा कुछ आसान Yoga आसन से करना चाहिए। क्योंकि पहली बार इसे करने में थोड़ी मुश्किल हो सकती है।

अगर आप योग करने की शुरुवात करने जा रहे हैं तो नीचे दिए हुए योग मुद्राओं का अभ्यास कर सकते हैं तो बहुत ही आसान हैं और स्वास्थ्य के लिए भी लाभदायक हैं।

योग के फायदे – Yoga for Health in Hindi

योगासन के स्वास्थ्य लाभ एक नहीं अनेक हैं। योग न सिर्फ शरीर का लचीलापन बढ़ाता है, बल्कि मांसपेशियों को मजबूत बनाने के साथ वज़न घटाने में भी मदद करता है। जानिए योगासन के अन्य स्वास्थय लाभ।

  • ब्लड प्रेशर कंट्रोल में रहता है।
  • दिनभर तरोताजा व खुश रहने में मदद करता है।
  • आपका ध्यान केंद्रित करने में मददगार।
  • आंतरिक शक्ति प्रदान करता है।
  • ब्लड शुगर नाॅर्मल रहती है।
  • अच्छी और गहरी नींद में सहायक।
  • हर तरह की बीमारी व दवाओं से दूर रहने में मदद करता है।
  • इम्यून सिस्टम को बेहतर कर शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है।
  • एक स्वस्थ जीवनशैली प्रदान करता है।
  • शरीर में किसी भी तरह के दर्द को कम करने में सहायक भूमिका निभाता है।

आज हम आप शुरुवात के लिए 10 आसान योगासन (Types of Yoga Asanas Poses for Beginners Hindi) तो बताएँगे साथ ही उससे मिलने वाले Health Benefits के बारे में भी बताएँगे। तो चलिए जानते हैं वो बेहतरीन शुरुवात के लिए योग मुद्राएँ क्या हैं?

1. कपालभाति योग (kapalbhati yoga)

कपालभाति योग की विधि (step of kapalbhati yoga)

  • किसी ध्यान की मुद्रा में बैठें, आँखें बंद करें एवं संपूर्ण शरीर को ढीला छोड़ दें।
  • दोनों नोस्ट्रिल से सांस लें, जिससे पेट फूल जाए और पेट की पेशियों को बल के साथ सिकोड़ते हुए सांस छोड़ दें।
  • अगली बार सांस स्वतः ही खींच ली जाएगी और पेट की पेशियां भी स्वतः ही फैल जाएंगी। सांस खींचने में किसी प्रकार के बल का प्रयोग नहीं होना चाहिए।
  • सांस धौंकनी के समान चलनी चाहिए।
  • इस क्रिया को तेजी से कई बार दोहराएं। यह क्रिया करते समय पेट फूलना और सिकुड़ना चाहिए।
  • शुरुवाती दौर इसे 30 बार करें और धीरे धीरे इसे 100-200 तक करें।
  • आप इसको 500 बार तक कर सकते हैं।
  • अगर आपके पास समय है तो रुक रुक कर इसे आप 5 से 10 मिनट तक कर सकते हैं।

कपालभाति योग के फायदे (benefits of kapalbhati yoga)

  • कपालभाति लगभग हर बिमारियों को किसी न किसी तरह से रोकता है।
  • कपालभाति को नियमित रूप से करने पर वजन घटता है और मोटापा में बहुत हद तक फर्क देखा जा सकता है।
  • इसके अभ्यास से त्वचा में ग्लोइंग और निखार देखा जा सकता है।
  • यह आपके बालों के लिए बहुत अच्छा है।
  • यह क्रिया अस्थमा के रोगियों के लिए एक तरह रामबाण है। इसके नियमित अभ्यास से अस्थमा को बहुत हद तक कंट्रोल किया जा सकता है।
  • कपालभाति से श्वसन मार्ग के अवरोध दूर होते हैं तथा इसकी अशुद्धियां एवं बलगम की अधिकता दूर होती है।
  • यह शीत, राइनिटिस (नाक की श्लेष्मा झिल्ली का सूजना), साइनसाइटिस तथा श्वास नली के संक्रमण के उपचार में उपयोगी है।
  • यह उदर में तंत्रिकाओं को सक्रिय करती है, उदरांगों की मालिश करती है तथा पाचन क्रिया को सुधारती है।
  • यह फेफड़ों की क्षमता में वृद्धि करती है।
  • यह साइनस को शुद्ध करती है तथा मस्तिष्क को सक्रिय करती है।
  • यह पाचन क्रिया को स्वस्थ बनाता है।
  • माथे के क्षेत्र में यह विशेष प्रकार की जागरुकता उत्पन्न करती है तथा भ्रूमध्य दृष्टि के प्रभावों को बढ़ाती है।
  • यह कुंडलिनीशक्ति को जागृत करने में सहायक होती है।
  • यह कब्ज की शिकायत को दूर करने के लिए बहुत लाभप्रद योगाभ्यास है।

2. अनुलोम-विलोम ( Anulom Vilom)

anulom vilom

अनुलोम-विलोम करने का तरीका (step of Anulom Vilom)

  • सबसे पहले चौकड़ी मार कर बैठें।
  • इसके बाद दाएं अंगूठे से अपनी दाहिनी नासिका पकड़ें और बाई नासिका से सांस अंदर लें लीजिए।
  • अब अनामिका अंगुली से बाई नासिका को बंद कर दें।
  • इसके बाद दाहिनी नासिका खोलें और सांस बाहर छोड़ दें।
  • अब दाहिने नासिका से ही सांस अंदर लें और उसी प्रक्रिया को दोहराते हुए बाई नासिका से सांस बाहर छोड दें।
  • नोट- दूसरी बार में आप जिस नासिका से सांस छोड़ रहे हैं उसी से दोबारा सांस को अंदर लेकर दूसरी नासिका से छोड़ना है।

अनुलोम विलोम करने के फायदे (Benefits of Anulom vilom)

  • अनुलोम विलोम करने से फेफड़े मजबूत होते हैं।
  • इससे बदलते मौसम में शरीर जल्दी बीमार नहीं होता।  
  • अनुलोम विलोम प्राणायाम करके आप वजन कम कर सकते हैं। जी हां, यह पाचन तंत्र को दुरुस्त बनाता है, जिससे कि आप अतिरिक्त कैलोरी को भी जल्दी बर्न कर सकते हैं।
  • अनुलोम विलोम मसल्स के लिए भी अच्छा माना जाता है।
  • अनुलोम विलोम प्राणायाम तनाव या डिप्रेशन को दूर करने के लिए अच्छा है।
  • अनुलोम विलोम करने का फायदा आपके लिए चौबीसों घंटे काम कर रहे दिल को भी मिलता है। यह दिल के लिए अच्छा है।
  • कई योग गुरुओं का यह भी मानना है कि अनुलोम विलोम प्राणायाम गठिया के लिए भी फायदेमंद है।

3. ताड़ासन योग (Tadasana Yoga)

Tadasana Yoga

ताड़ासन योग की विधि  (Steps of Tadasana Yoga)

  • सीधे खड़े हो जाए और पैरों के बीच कुछ दूरी रखें।
  • दोनों हाथों अपने शरीर के पास में सीधा रखें।
  • अब गहरी सांस लेते हुए अपनी दोनों बाजुओं को सिर के ऊपर उठाएं और अपनी उंगलियों को आपस में बांध लें।
  • हाथों को सीधा रखें और स्ट्रेच करें।
  • अपनी एड़ी उठाते हुए अपने पैर की उंगलियों पर खड़े हो जाएं।
  • इस दौरान आपके शरीर में पैरों से लेकर हाथों की उंगलियों तक स्ट्रेच महसूस होना चाहिए।
  • 10 सेकेंड के लिए इस स्थिति में रहें और सांस लेते रहें।
  • अब सांस छोड़ते हुए अपनी शुरुआती अवस्था में आ जाएं।
  • इस आसन को 10 बार दोहराएं।

ताड़ासन योग  के फायदे (Benefits of Tadasana Yoga)

  • पीठ की दर्द से राहत
  • संतुलन बनाने में मददघुटनों के दर्द से राहत
  • मानसिक जागरूकता बढ़ती है
  • लंबाई बढ़ाने में मदद
  • लंबाई बढ़ाने में मदद

 4. सुखासन योग (Sukhasana Yoga)

Sukhasana Yoga

सुखासन योग की विधि  (Steps of Sukhasana Yoga)

  • यह आसान योगासन बच्चे भी कुछ ही मिनटों में सिख कर, कर सकते हैं।
  • सुखासन को करने के लिए आप सबसे पहले फर्श पर योगा मेट को बिछा के पैरों को सीधे करके बैठ जाएं।
  • एक दो लम्बी साँस लें, और अपनी रीढ़ के हड्डी को सीधा रखें।
  • फिर बाएं पैर को मोड़े और दाएं पैर की जांघ पर या दायं पैर के घुटने के नीचे रखें जिसमे आपको आसानी हों।
  • अब दाएं पैर को मोड़ें और बाएं पैर की जांघ के नीचे या अपने बाएं पैर के घुटने के नीचे रखें।
  • अपने सिर और गर्दन पर बिना किसी प्रकार का खिचाव बनायें सीधा रखें।
  • इसके साथ ही दोनों हाथों को ध्यान की मुद्रा में घुटनों पर रखें।
  • अपने शरीर को आरामदायक स्थिति में रखें।
  • अब आंखे बंद कर लें और पूरे शरीर को ढीला रखें।
  • इस आसन को आप 10-12 मिनिट या अपनी क्षमता के अनुसार करें।

सुखासन योग के फायदे (Benefits of Sukhasana Yoga)

  • रीड की हड्डी में खिचाव होता है जो रीड की हड्डी को लम्बा होने में मदद करता है।
  • छाती का चौड़ाई बढ़ता है।
  • मन को शांति मिलती है।
  • चिंता, तनाव और मानसिक थकान से जुड़े रोग दूर होता हैं।
  • इस योग को अपना कर आप अपनी मुद्रा स्थिति को सुधार सकते हैं।
  • नियमित रूप से सुखासन योग के फायदे आपके पैरों, पिंडलियों और जांघों की मांसपेशियों को मजबूत करने में मदद करता है।

5. शवासन योग (Shavasana Yoga)

Shavasana Yoga

शवासन योग की विधि (Steps of Shavasana Yoga)

  • पीठ के बल लेट जाएं और हाथों को आराम से शरीर से एक फुट की दुरी पर रखें।
  • पैरों के बीच एक या दो फुट की दूरी रखें।
  • दोनों हाथ जमीन पर शरीर से 10 इंच दूर रखें।
  • अंगुलियां तथा हथेली ऊपर की दिशा में रखें।
  • सिर को अपने हिसाब से रखें।
  • आंखें धीरे से बंद करें।
  • धीरे धीरे सांस लें और धीरे धीरे सांस छोड़े।
  • शवासन में कोशिश किया जाता है की आपके शरीर का प्रत्येक अंग से तनाव मुक्त रहे और शरीर के अंगों को ज़्यदा से ज़्यदा आराम मिल सके।

शवासन योग के फायदे (Benefits of Shavasana Yoga)

  • ध्यान के लिए उम्दा आसन: ध्यान के लिए यह सबसे अच्छा योगाभ्यास है। शवासन आपको ध्यान की गहराई में लेकर जाता है ताकि आप ध्यान से होने वाले लाभ को महसूस कर सके और इसका फायदा उठा सके।
  • तनाव घटाने में : यह आसन तनाव घटाने में बड़ी भूमिका निभाता है।
  • थकावट दूर करने में: यह शारीरिक तथा मानसिक थकावट दूर करने में लाभकारी है।
  • मांसपेशियों के आराम में : यह शरीर की सभी पेशियों एवं तंत्रिकाओं को विश्राम देता हैा और आपको तनाव मुक्त करने में अहम भूमिका निभाता है।
  • मनोवैज्ञानिक विकार दूर करने में: यह मनोवैज्ञानिक विकार दूर करने में अत्यंत लाभकारी आसन है।
  • उच्च रक्तचाप कम करने में : उच्च रक्तचाप को कम करने में लाभकारी है।
  • हृदय रोग में लाभदायक: ह्रदय रोगी के लिए बहुत ही फायदेमंद योगाभ्यास है।
  • बेचैनी दूर करने में : बेचैनी दूर करने में अहम भूमिका निभाता है।
  • चिंता कम करने में: यह चिंता को कम करते हुए आपको शांत एवं शरीर को विश्राम दिलाता है।

6. वीरभद्रासन योग (Virabhadrasana Yoga)

Virabhadrasana Yoga

वीरभद्रासन योग की विधि (Steps of Virabhadrasana Yoga)

  • इस वीरभद्रासन-1 करने के लिए आप सबसे पहले एक साफ स्थान पर योगा मैट को बिछा के उस पर सीधे खड़े हो जाएं।
  • इसके लिए आप ताड़ासन योग मुद्रा में भी खड़े हो सकते हैं।
  • अब अपने दोनों पैरों को 3 से 3.5 फिट फैला लें।
  • अपने दोनों हाथों को ऊपर करें यानि जमीन के समान्तर रखें।
  • अब अपने दोनों हाथों की हथेलियों को अपने सिर के ऊपर लें जाएं और उनको आपस में जोड़ लें।
  • फिर अपने दाएं पैर के पंजे को 90 डिग्री के कोण पर घुमाएं और बाएं पैर के पंजे को 45 डिग्री घुमाएं।
  • अब अपने पैरों को स्थाई रखे हुए सिर्फ ऊपर के शरीर को दाएं पैर की उंगलियों की दिशा में घुमाएं।
  • इस स्थिति में आपका मुंह भी दाएं पैर की उंगली की दिशा में 90 डिग्री घूम जायेगा।
  • इसके बाद अपने दाएं पैर को घुटने के यहाँ से मोड़े और उस पर 90 डिग्री का कोण बनाए।
  • इस स्थिति में आपके दायं पैर की जांघ फर्श के समान्तर होगी और बायां पैर पूरी से तरह से सीधा होगा।
  • अब अपने सिर को पीछे की ओर झुका लें और आसमान की ओर देखें।
  • इस स्थिति में आप 30 से 60 सेकंड तक रहें, और फिर अपनी प्रारंभिक स्थिति में आयें।
  • फिर से यही पूरी प्रक्रिया दूसरे वाले पैर से करें।

वीरभद्रासन योग की फायदे (Benefits of Virabhadrasana Yoga)

  • जांघों, बछड़ों और एड़ियों को मजबूत और फैलाता है
  • पैरों को मजबूत करता है, कूल्हों और छाती को खोलता है और बाहों और पैरों को फैलाता है
  • परिसंचरण और श्वसन में सुधार करता है और पूरे शरीर को सक्रिय करता है।
  • फोकस, संतुलन और स्थिरता में सुधार करता है
  • अच्छे परिसंचरण और श्वसन को प्रोत्साहित करता है
  • जमे हुए कंधे को कम करने में मदद करता है
  • हिप आकुंचक और पिण्डली की मांसपेशियों को फैलाता है।
  • संतुलन और एकाग्रता में सुधार करता है

7. वृक्षासन योग (Vrikasana Yoga)

Vrikasana Yoga

वृक्षासन योग की विधि (Steps of Vrikasana Yoga)

  • दोनो पैरो पर खड़े हो जाये।
  • दांए पैर को धीरे धीरे ऊपर उठाते हुए बायां पैर के घुटने के ऊपर रख दे ।
  • साँस को अंदर की और लेते हुए। अब दोनो हाथो को ऊपर की तरफ ले जाते हुए जोड़े , प्रार्थना की मुद्रा में।
  • सामने की ओर देखे इसे आपको इससे आपको संतुलन बनाए रखने में मदद मिलेगी।
  • अपनी रीढ़ को सीधा रखें। ध्यान दें, कि आपका शरीर तना हुआ होना चाहिए, गहरी सांस लें, और हर बार जब आप साँस छोड़ते रहे।  
  • 30 सेकंड से 1 मिनट तक रहें।
  • अब इस प्रक्रिया को दूसरे पैर पर भी दोहराएं।

वृक्षासन योग के फायदे (Benefits of Vrikasana Yoga)

  • जांघों, पैर और रीढ़ को मजबूत करता है।
  • संतुलन में सुधार करता है ।
  • सपाट पैरों को कम करता है ।
  • आपके मन को शांत करता है और  एकाग्रता को बढ़ाने मे मदद करता है ।
  • शरीर को मजबूत व लचीला बनाता है ।
  • शारीरिक और मानसिक रूप से संतुलन और ध्यान केंद्रित करने मे मदद करता है।

8. त्रिकोणासन योग (Trikonasana Yoga)

Trikonasana Benefits

त्रिकोणासन योग करते समय शरीर का आकार त्रिकोण (ट्रीअंगेल) के समान होने के कारण इसे त्रिकोणासन या ट्रीअंगेल पोज कहा जाता हैं। मोटापे से परेशान लोगो के लिए यह सबसे सरल और उपयोगी आसन हैं।

त्रिकोणासन का नियमित अभ्यास करने से आपके पेट, कमर, जांघ और नितंब पर जमी अतिरिक्त चर्बी को आसानी से घटाया जा सकता हैं।

त्रिकोणासन योग की विधि (Steps of Trikonasana Yoga)

  • दोनों पैरों के बीच  2 से 3 फुट का फासला छोड़कर सीधे खड़े हो जाये।
  • दायें पैर (राईट लेग ) को दायी ओर मोड़कर रखे।
  • अपने कंधो की उचाई तक दोनों हाथों को बगल में फैलाए।
  • अब श्वास ले और दायी ओर (राईट साइड ) झुके। झुकते समय नजर सामने रखे।
  • दायें हाथ से दायें पैर को चुने की कोशिश करे।
  • बायाँ  हाथ (लेफ्ट हैण्ड) सीधा आकाश की और रखे और नजर बायें हाथ की उंगलियों की और रखे।
  • अब वापस  सीधी अवस्था में लौटकर दूसरी और भी हाथ बदलकर यह अभ्यास करे।
  • ऐसे कम से कम 20 बार करे।
  • शरीर उठाते समय श्वास अन्दर ले औए झुकते समय श्वास छोड़े।

त्रिकोणासन योग के फायदे (Benefits of Trikonasana Yoga)

  • यह आसन करने से गर्दन, पीठ, कमर और पैर के स्नायु मजबूत होते हैं।
  • शरीर का संतुलन ठीक होता हैं।
  • पाचन प्रणाली ठीक होती हैं।
  • एसिडिटी से छुटकारा मिलता हैं।
  • चिंता, तनाव, कमर और पीठ का दर्द गायब हो जाता हैं।
  • पेट पर जमी अतिरिक्त चर्बी और मोटापा दूर करने में सहायक आसन माना जाता हैं।
  • शरीर को सुडौल, मजबूर और लचीला बनाता हैं।

9. भुजंगासन योग (Bhujangasana Yoga)

भुजंगासन योग की विधि (Steps of Bhujangasana Yoga)

  • पेट के बल जमीन पर लेट जाएं। अपनी दोनों हथेलियों को जांघों के पास जमीन की तरफ करके रखें। ध्यान रखें कि आपके टखने एक-दूसरे को छूते रहें। 
  • इसके बाद अपने दोनों हाथों को कंधे के बराबर लेकर आएं और दोनों हथेलियों को फर्श की तरफ करें। 
  • अब अपने शरीर का वजन अपनी हथेलियों पर डालें, सांस भीतर खींचें और अपने सिर को उठाकर पीठ की तरफ खींचें। ध्यान दें कि इस वक्त तक आपकी कुहनी मुड़ी हुई है। 
  • इसके बाद अपने सिर को पीछे की तरफ खीचें और साथ ही अपनी छाती को भी आगे की तरफ निकालें। सिर को सांप के फन की तरह खींचकर रखें। लेकिन ध्यान दें कि आपके कंधे कान से दूर रहें और कंधे मजबूत बने रहें।  
  • इसके बाद अपने हिप्स, जांघों और पैरों से फर्श की तरफ दबाव बढ़ाएं। 
  • शरीर को इस स्थिति में करीब 15 से 30 सेकेंड तक रखें और सांस की गति सामान्य बनाए रखें। ऐसा महसूस करें कि आपका पेट फर्श की तरफ दब रहा है। लगातार अभ्यास के बाद आप इस आसन को 2 मिनट तक भी कर सकते हैं। 

भुजंगासन योग के फायदे (Benefits of Bhujangasana Yoga)

  • रीढ़ की हड्डी में मजबूती और लचीलापन बढ़ सकता है।
  • पेट के निचले हिस्से में मौजूद सभी अंगों के काम करने की क्षमता बढ़ सकती है। 
  • पाचन तंत्र, मूत्र मार्ग की समस्याएं दूर होती हैं और यौन शक्ति बढ़ सकती है। 
  • मेटाबॉलिज्म सुधरता है और वजन कम करने में मदद मिल सकती है। 
  • कमर का निचला हिस्सा मजबूत बनाया जा सकता है। 
  • फेफड़ों, कंधों, सीने और पेट के निचले हिस्से को अच्छा खिंचाव मिल सकता है।
  • टेंशन दूर रहती है। डिप्रेशन में भी इससे फायदा मिल सकता है। 
  • फेफड़ों और हार्ट की नसों के ब्लॉकेज खोलने में भी मदद मिल सकती है। 
  • साइटिका और अस्थमा की बीमारी में भी राहत मिल सकती है। 

10. बालासन योग (Balasana Yoga)

बालासन योग की विधि (Steps of Balasana Yoga)

  • वज्रासन मे बैठ जाये अपनी रीढ़ को सीधा रखे ।
  • साँस लेते हुए अपने दोनों हाथो को ऊपर ले जाये ।
  • साँस छोड़ते हुए अपनी कमर के ऊपरी भाग को आगे झुके साथ ही दोनों हाथो को भी ।
  • हाथो को सीधा रखे, और सिर को जमीन पर लगये ।
  • 30 सेकंड से लेकर कुछ मिनट तक मुद्रा मे रहे ।
  • फिर वापिस वज्रासन मुद्रा मे आए ।
  • इस योग को 5-10 बार दोहोराये।

बालासन योग के फायदे (Benefits of Balasana Yoga)

  • यह छाती, पीठ और कंधों के दर्द से राहत दिलाता है ।
  • तनाव और चिंता को कम करने में मदद करता है ।
  • रीढ़ को लंबा करने में मदद करता है ।
  • पूरे शरीर में रक्त परिसंचरण को बढ़ावा देता है ।
  • धूम्रपान की लत को छोड़ने मे सहायता करता है ।
  • इसका अभियास करने से चेहरे पर निखार आता है।

इसे पढ़े – सर्दी-जुकाम से राहत पाने के घरेलू उपचार (Home Remedies for Common Cold)

योग के नियम (Follow these 10 Rules while doing Yoga)

योगासन से पहले शरीर को करें तैयार

जिस तरह एक्सरसाइज से पहले वार्मअप करना जरूरी होता है, उसी तरह योग करने से पहले भी वार्मअप करना बहुत जरूरी होता है। इसलिए योगासन करने पहले शरीर को वार्मअप करने के लिए हल्का-फुल्का व्यायाम जरुर कर लें। इससे आपका शरीर खुलेगा तथा लचीला हो जाएगा। आप चाहें तो इसके लिए सूक्ष्म आसन भी कर सकते हैं।

योग भोजन करने के तुरंत बाद न करें

सुबह हो या शाम, कभी भी भोजन के तुरंत बाद योग नहीं करना चाहिए। योग हमेशा खाने के करीब 3 घंटे बाद करें। इसके अलावा सुबह आप खाली पेट भी योग कर सकते हैं। केवल वज्रासन ही ऐसा योग है, जिसे भोजन के बाद किया जा सकता है।

योगासन कठिन आसान से न करें शुरुआत

योगासन की शुरूआत करते समय हल्के आसन का चयन करें। चाहे आपको कितनी भी प्रैक्टिस क्यों न हो लेकिन योग की शुरूआत किसी कठिन आसन से नहीं करनी चाहिए। बिना शरीर को तैयार किए आप कठिन योग करने लगेंगे तो चोट लगने का डर रहता है।

योग करने का सही समय

योग सूरज उगने से पहले और सूर्य डूबने के बाद किसी भी समय किया जा सकता है लेकिन दिन के समय योग न करें। योगासन सुबह के समय करने से अधिक लाभ मिलता है। मगर फिर भी अगर आप किसी कारण से सुबह योग नहीं कर पाएं तो शाम या रात को खाना खाने से आधा घंटा पहले भी कर सकते हैं। यह ध्यान रखें कि आपका पेट भरा न हो। इसलिए भोजन करने के 3-4 घंटे बाद और हल्का नाश्ता लेने के 1 घंटे बाद आप योगासन करें।

योगासन के दौरान न पीएं ठंडा पानी

योग करते समय बीच में ठंडा पानी पीना आपके लिए खतरनाक हो सकता है। योग के दौरान शारीरिक गतिविधि के बाद शरीर गर्म हो जाता है। ऐसे में ठंडा पानी पीने से सर्दी जुकाम, कफ और एलर्जी की शिकायत हो सकती है। इसलिए योगासन के समय और बाद में नार्मल पानी ही पीएं।

योग बीमारी में न करे

अगर आपको कोई भी गंभीर समस्या, जोड़ों, कमर, घुटनों में अधिक दर्द है तो योग करने के लिए डॉक्टर से सलाह लें। इसके अलावा योग करने के दौरान बाथरूम नहीं जाना चाहिए बल्कि अपने शरीर का पानी पसीने के जरिए बाहर निकलना चाहिए।

योगासन गलत पोज न करें

इन्स्ट्रक्टर द्वारा बताए अनुसार ही योग करें। गलत आसन करने से कमर दर्द, घुटनों में तकलीफ या मसल्स में खिंचाव हो सकता है। इसके अलावा पीठ, घुटने या मसल्स की प्रॉब्लम हो तो योग करने से पहले ट्रेनर से सलाह जरूर ले।

योग के तुरंत बाद न नहाएं

योगासन करने के तुरंत बाद न नहाएं बल्कि कुछ समय बाद स्नान करें। क्योकि किसी भी व्यायाम या अन्य शारीरिक गतिविधि के बाद शरीर गर्म हो जाता है और आप एकदम से नहाएंगे तो सर्दी-जुकाम, बदन दर्द जैसी तकलीफ हो सकती है। इसलिए योग करने के एक घंटे बाद ही नहाएं।

योगासन के समय ध्यान केंद्रित करना

योगासन करते समय अपने मोबाइल फोन ऑफ कर दें। क्योंकि इसे करते समय आपका ध्यान इधर-उधर नहीं होना चाहिए। इसके अलावा हंसी मजाक का माहौल न बनाए इससे आपसे योग में कोई गलत स्टेप हो सकता है।

योग के लिए एक्सपर्ट से लें सलाह

अक्सर लोग योग करने के लिए टीवी या कोई किताब पढ़ने लगते हैं लेकिन योग हमेशा किसी एक्सपर्ट की सलाह से ही करना चाहिए। इसके अलावा अगर आप किसी बीमारी से छुटकारा पाने के लिए योग कर रहें तो भी एक्सपर्ट से सलाह लेना न भूलें।

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योगासन के लिए इन बातों को रखें ध्यान में

  • योगासन खुली और ताजी हवा में करना सबसे अच्छा माना गया है। फिर भी अगर ऐसा करना संभव न हो तो, किसी भी खाली जगह पर आसन करें।
  • योग करते समय संवेदनशील अंग जैसे कमजोर घुटनें, कमर, रीढ़ की हड्डी और गर्दन का खास ख्याल रखें। अगर आपको किसी भी तरह की प्रॉब्लम या दर्द हो तो धीरे-धीरे आसन की उस अवस्था से अपने आप को बाहर निकालें।
  • योग करते समय हमेशा ढीले और आरामदायक कपड़े ही पहनें। आप टी-शर्ट या ट्रैक पैंट पहनकर भी योगासन कर सकते है।
  • याद रखे कि किसी भी योगासन को झटके से न करें और न ही योग मुद्रा से झटके से निकले। इसके अलावा योग उतना ही करे, जितना आप आसानी से कर पाएं। धीरे-धीरे अभ्यास बढ़ाने की कोशिश करने करें न एकदम से अधिक योग करें।
  • जब भी आप योगासन करने की तैयारी करें तो ज्वेलरी, गले की चैन, घडी, कड़े आदि निकाल दें। क्योकि इनको पहन कर योग की मुद्रा में आपको समस्या हो सकती है। यहां तक के ये चीजे आपको चोट भी पहुंचा सकती हैं।
  • 3 साल से कम उम्र के बच्चे योगासन न करें। 3-7 साल तक के बच्चे हल्के योगासन कर सकते हैं। 7 साल से ज्यादा उम्र के बच्चे हर तरह के योगासन कर सकते हैं। प्रैग्नेंसी के दौरान मुश्किल आसन और कपाल भारती बिल्कुल भी न करें।
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