इस आधुनिक लाइफस्टाइल में दुनिया की लगभग 26 प्रतिशत आबादी हाई ब्लड प्रेशर की समस्या को सहन कर रही है। इसमें आर्टिरियल ब्लड प्रेशर तक बढ़ जाता है, जिससे दिल का दौरा, स्ट्रोक के साथ मौत भी हो सकती है।
लोगों की लाइफस्टाइल , अधिक मात्रा में सोडियम का सेवन, मोटापा, तनाव, धूम्रपान इसका मुख्य कारण हैं। हालांकि बहुत से लोग हाई ब्लड प्रेशर से पीड़ित होने पर दवाईयां लेते हैं, लेकिन लंबे समय तक इसके दुष्प्रभावों से बचने और रक्तचाप को नियंत्रण में रखने के लिए प्राकृतिक उपचार (Pranayam for high blood pressure in hindi) एक अच्छा विकल्प है।
हाई ब्लड प्रेशर से निपटने के लिए एक ऐसा ही प्राकृतिक तरीका है प्राणायाम । प्राणायाम न केवल तंत्रिकाओं को शांत करता है, बल्कि तनाव दूर करने के साथ स्वाभाविक रूप से बढ़े हुए ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करता है।
हाई ब्लड प्रेशर के कारण (High blood pressure causes)
आजकल की खराब जीवनशैली, खान-पान या आहार, मोटापा, धूम्रपान उच्च रक्तचाप के कारण हो सकते हैं। इसके अलावा असक्रिय जीवनशैली भी हाई ब्लड प्रेशर का कारण हो सकता है। इसलिए ब्लड प्रेशर को कंट्रोल में रखने के लिए स्वस्थ आहार और नियमित व्यायाम जरूरी है।
आप चाहें तो ब्लड प्रेशर को नियंत्रण में रखने के लिए योग का सहारा भी ले सकते हैं। योग कई स्वास्थ्य समस्याओं को दूर करने में मदद करता है। यह तनाव दूर करता, साथ ही हाई ब्लड प्रेशर को भी कम करने में मदद करता है।
अगर आप योग के जरिए ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करना चाहते हैं, तो नियमित रूप से 4 प्राणायाम कर सकते हैं। अनुलोम-विलोम, शीतली प्राणायाम ब्लड प्रेशर के मरीजों के लिए काफी लाभकारी है।
हाई ब्लड प्रेशर के लिए प्राणायाम (Pranayam for high blood pressure in hindi)
आयुर्वेद में योग को अहम स्थान दिया गया है। नियमित रूप से योग करके प्रत्येक व्यक्ति स्वस्थ रह सकता है। योग व्यक्ति को निरोगी बनाता है। हाई ब्लड प्रेशर (pranayam for high blood pressure) में भी योग या प्राणायाम फायदेमंद है।
1. अनुलोम विलोम (anulom vilom for bp)

रोजाना सुबह या खाली पेट अनुलोम विलोम करना स्वास्थ्य के लिए काफी फायदेमंद होता है। अनुलोम विलोम करने से फेफड़े ताकतवर बनते हैं, इससे ऑक्सीजन का प्रवाह बेहतर होता है। साथ ही, अनुलोम विलोम करने से सांस संबंधी बीमारियां दूर होती है।
इसे करने से तनाव भी दूर होता है। ब्लड प्रेशर को कंट्रोल में रखने के लिए भी अनुलोम विलोम का अभ्यास किया जा सकता है। अनुलोम विलोम की विधि (anulom vilom steps)-
- अनुलोम विलोम करने के लिए सबसे पहले किसी शांत वातावरण में एक मैट बिछा लें।
- इस पर पद्मासन या सुखासन में बैठ जाएं।
- अब अपने दाएं हाथ के अंगूठे से दाईं नासिका को बंद करें, बाईं नासिका से सांस लें।
- इसके बाद बाईं नासिका को बंद करें और दाईं नासिका से सांस छोड़ दें।
- फिर बाईं नासिका को बंद करें, दाईं नासिका से सांस लें और बाईं नासिका से छोड़ दें।
- आप इस प्रक्रिया को करीब 10 मिनट तक कर सकते हैं।
2. शीतली प्राणायाम (sheetali pranayama benefits)
पित्त प्रकृति के लोगों के लिए शीतली प्राणायाम करना काफी लाभकारी है। यह एसिडिटी और पेट के अल्सर तक की समस्या दूर करता है। इस प्राणायाम को करने से करने से पाचन शक्ति मजबूत होती है।
शीतली प्राणायाम ब्लड प्रेशर को भी कम करता है। यह हृदय रोग के जोखिम को कम करता है। शीतली प्राणायाम करने से तनाव भी दूर होता है। शीतली प्राणायाम करने का तरीका (sheetali pranayama steps and benefits)-
- शीतली प्राणायाम करने के लिए साफ-सुथरी जगह पर मैट पर बैठ जाएं।
- अब अपनी जीभ बाहर निकालें और पाइप की तरह आकार दें।
- इसके बाद जीभ के सहारे सांस लें और पेट में भरकर मुंह बंद कर लें।
- जबड़े के अगले हिस्से को छाती से सटा लें।
- इसके बाद सांस रोकें और गर्दन की सीधा करके नाक से सांस बाहर निकाल दें।
- यानी इस प्राणायाम में आपको जीभ के सहारे सांस को धीरे-धीरे अंदर लेना है और फिर छोड़ना है।
- आप इसे अपनी क्षमतानुसार कर सकते हैं।
3. शीतकारी प्राणायाम के फायदे (sitkari pranayama benefits)
शीतकारी प्राणायाम तन और मन को ठंडक देता है। इस प्राणायाम को करने से मांसपेशियों को आराम मिलता है। यह मसूड़ों को भी स्वस्थ रखता है। शीतकारी प्राणायाम करने से उच्च रक्तचाप की समस्या में भी आराम मिलता है। दांतों को स्वस्थ रखने के लिए शीतकारी प्राणायाम फायदेमंद है। जानें शीतकारी प्राणायाम की विधि (sitkari pranayama steps and benefits)
- शीतकारी प्राणायाम को करने के लिए सबसे पहले ध्यान मुद्रा में बैठ जाएं।
- अपने हाथों को घुटने पर ज्ञान मुद्रा में रखें।
- दांतों को आपस में जोड़ें। हाथों को अलग रखें। इस दौरान आपके दांत दिखाई देने चाहिए।
- अब दांतों के माध्यम से सांस लें। जब सांस लें तो मुंह तो बंद कर लें।
- इसके बाद धीरे-धीरे नाक से सांस छोड़ें।
- इस प्रक्रिया को आप कई बार दोहरा सकते हैं।
4. भ्रामरी प्राणायाम (bhramari pranayama for high blood pressure)
भ्रामरी प्राणायाम करने से आप हमेशा तनावमुक्त रह सकते हैं। इस प्राणायाम को रोजाना करने थायराइड, साइनस की समस्या से राहत मिलती है। इसके साथ ही भ्रामरी प्राणायाम (bhramari pranayam) करने से माइग्रेन रोग भी दूर होती है। अगर नियमित रूप से भ्रामरी प्राणायाम किया जाए, तो ब्लड प्रेशर को भी कंट्रोल में रखा जा सकता है। जानें भ्रामरी प्राणायाम की विधि (bhramari pranayama steps)-
- भ्रामरी प्राणायाम करने के लिए सबसे पहले एक मौट पर पद्मासन या सुखासन में बैठ जाएं।
- अब अपने दोनों हाथों के अंगूठों से कान बंद कर लें।
- इसके बाद तर्जनी उंगुली को माथे पर रखें।
- मध्यमा, अनामिक और कनिष्का उंगुली को आंखों के ऊपर रख दें।
- अपने मुंह को बंद रखें। इसके बाद सामान्य गति से नाक से सांस लें।
- अब नाक से ही मधु-मक्खी की तरह आवाज निकालते हुए सांस छोड़ें।
- इस प्रक्रिया को आप करीब 5 मिनट तक दोहरा सकते हैं।
बालासन, सुखासन, शवासन, भुजंगासन जैसे प्राणायाम भी हाई ब्लड प्रेशर के रोगियों के लिए लाभकारी होता है। आप योगासन और प्राणायाम के माध्यम से ब्लड प्रेशर को कंट्रोल कर सकते हैं। लेकिन अगर आपका ब्लड प्रेशर बढ़ा हुआ है, तो एक्सपर्ट की सलाह पर ही कोई भी योगासन करें। और इस जानकारी को अपने दोस्तों के साथ शेयर जरूर करे।